समूचा संसार वैसा ही होगा, जैसा पहले था, परंतु संसार का द्रष्टा आमूलाग्र परिवर्तित होगा, यह सामर्थ्य, यह तंत्रशुद्धता इस कोर्स में है – इसे पढ़े और इसके अनुसार आचरण करें ।
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