Vijay Rupani, CM - Gujarat ( 1 Sat 13, 2020 04:01 PM )
‘जैनिज़्म’ केवल एक धर्म मात्र की बात नहीं, यह बदलते समय के साथ वैश्विक एवं सनातन मूल्य सत्य, करुणा, अहिंसा, अचौर्य एवं अपरिग्रह जैसे सद्गुणों को प्रस्थापित करने का ज्ञान भी तो है।
जैन धर्म शिष्ट, स्वस्थ, सुव्यवस्थित एवं प्रसन्न जीवनशैली का प्रेरक है। शाश्वत सुख की प्राप्ति के लिए हर एक व्यक्ति आतुर होता है। जैनिज़्म के पांच व्रतों का सम्पूर्ण समझदारी के साथ अनुकरण छात्रों के लिए जीवन बदलाव का एक महत्त्वपूर्ण प्रकाशित मार्ग बनेगा।
श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ द्वारा विश्वप्रकाश पत्राचार पाठ्यक्रम के नाम से जो जैनिज़्म कोर्स संचालित हुआ है, वह प्रशंसनीय है। मैं आशा करता हूँ कि इस अभ्यास के माध्यम से छात्र व्यापक कल्याणकारी जीवन उद्देश्य को समझने में सफलता प्राप्त करेंगे। इस कार्य से जुड़े हर एक व्यक्ति के प्रयासों का स्वागत करते हुए इस श्रेयकार्य की सफलता के लिए मेरी शुभेच्छाएँ प्रेषित करता हूँ।
मुझे यह जानकार हार्दिक प्रसन्नता हुई है कि श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ द्वारा मानव जाति के कल्याण एवं ज्ञान का प्रकाश फैलाने हेतु प. पू. आ. भ. श्री गुणरत्नसूरीश्वर जी म. सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शन से त्रिवर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम “जैनिज़्म कोर्स” तैयार किया गया है।
मैं श्री नाकोड़ा तीर्थ ट्रस्ट से जुड़े सभी बन्धुओं को जैनिज़्म कोर्स आरम्भ करने पर हार्दिक बधाई देता हूँ, तथा इसकी सफलता की कामना करता हूँ।
प.पू.आ.भ. श्री विजय जयघोषसूरीश्वर जी महाराज ( 1 Mon 29, 2020 06:29 AM )
ज्ञान जगत में एक सक्षम आलंबन की पूर्ति इस कोर्स के माध्यम से हो पाएगी। समस्त विद्यार्थी आचार एवं विचार में आध्यात्मिक परिवर्तन द्वारा आत्मकल्याण करें, इस हेतु शुभाशीर्वाद !!
प.पू.आ.भ. श्री वि. यशोविजयसूरीश्वरजी महाराज ( 1 Mon 29, 2020 07:35 AM )
'जैनिज़्म कोर्स’ के प्रकाशन के अवसर पर हार्दिक शुभकामना। प्रभु की व्यवहार निश्चय के अद्भुत समतुलनयुक्त साधना को पाकर हम तो कृतार्थ हो गए है। इस साधना का प्रचार जन-जन में हो यही हमारी इच्छा होती है।
Dr Lata Bothra Jain Bhavan Institute, Kolkata ( 1 Tue 30, 2020 12:14 AM )
In contemporary times we see society wracked by contradictions, environmental imbalance, socio-cultural apathy and complete lack of empathy in the younger generation. This syllabus will not only play a significant role in wiping out these ills but also work as a guiding force for generations to come who will learn to live up to their responsibilities in the right spirit. This syllabus will play an important role in emphasising and underlining the path of life as taught by the Tīrthaṅkaras.
We humbly thank his Holiness Gurudev dīkṣā Daneshwari Suripremalabdhaprasad Ācārya Vijay Gunaratnasuri for his guidance in creating this syllabus to spread the light of knowledge among masses.
Professor Ashok Kumar, BL Institute of Indology, New Delhi ( 1 Tue 30, 2020 12:23 AM )
Human values like forgiveness, friendship, compassion, affection, humility, trustworthiness, gentleness and gratitude are not only essential for personal growth, they are the basis of a happy society. It is impossible to imagine the ideal person and ideal society in the absence of the widespread knowledge and practice of the teachings of self-control of speech, desire, physical conduct, materialism and emotions that are so strongly espoused by Jain scriptures.
I am confident that this syllabus shall justify its nomenclature as ‘Life Course’ by making a priceless contribution to the creation and development of the ideal person, ideal family, ideal society, ideal nation and the ideal world. I heartily congratulate all those auspicious souls who are connected with this syllabus.
Dr Jitendra B Shah, Director, LD Institute of Indology, Ahmedabad ( 1 Tue 30, 2020 12:35 AM )
Materialism is promoted to an unhealthy level, smartphones are misused, and the negative impact of television; are factors which have severely damaged our Indian culture and religious values. At a difficult time like this, such a study course is absolutely essential. Necessity has led to additions, corrections and emendations to the older course. One is pleased that a new improved version of the old syllabus has been prepared. Since this new syllabus has had inputs from the best scholars and learned Ācāryas and Sādhus, without any doubt, it is going to be excellent!
Dr. P. J. Gandhi-Consulting Engineer & Valuer, Arbitrator & Conciliator Ph D (Engg), Ph D (Management), MBA (Finance & Operations), LLM, ACS ( 1 Tue 30, 2020 01:41 AM )
Jainism is a perfect science in itself. Perhaps there will be no such knowledge in the entire world, which is not widely analyzed in the Jain texts. This course is being revamped under guidance of Acarya Gunaratna Suri Maharaja. It covers almost every kind of subjects from religion to the elements. Previously, lakhs of students were benefited from it, but now this course is available in three languages Gujarati, Hindi and English, where the description of difficult elements are very easily explained, surely I wish that many lives will be changed.
श्री नरेन्द्र मोदी, प्रधानमन्त्री, भारत ( 1 Thu 06, 2020 04:43 PM )
श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ, राजस्थान द्वारा हिन्दी व गुजराती भाषा में सर्वजनसुखाय प्रकाशित हो रहे 'जैनिज्म कोर्स' के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई है। जैन धर्म की अमूल्य शिक्षाओं को औपचारिक अध्ययन का अंग बनाना प्रशंसनीय है।
अपने कर्मों को पूरी निष्ठा के साथ करने पर बल देते जैन धर्म के विभिन्न तीर्थंकरों ने उच्च आदर्श प्रस्तुत किए और विश्व को अहिंसा, कर्म, समानता, शांति और अपरिग्रह जैसे कल्याणकारी विचार दिए। सदियों पहले दिए गए उनके विचार व आदर्श आज के दौर में और भी प्रासंगिक हो गए हैं, इन्हें अधिकतम लोगों तक पहुंचाना आवश्यक है।
मुझे उम्मीद है कि जैन धर्म के शिष्ट-स्वस्थ-सुव्यवस्थित और प्रसन्न जीवनशैली के प्रेरक संदेश को यह कोर्स आगे बढ़ाएगा।
‘जैनिज्म कोर्स' से जुड़े जैन-अजैन विद्यार्थियों और गुरूजनों को मैं भविष्य के प्रयासों के लिए बधाई व शुभकामनाएं देता हूं।
Vijay Rupani, CM - Gujarat ( 1 Sat 13, 2020 04:01 PM )
‘जैनिज़्म’ केवल एक धर्म मात्र की बात नहीं, यह बदलते समय के साथ वैश्विक एवं सनातन मूल्य सत्य, करुणा, अहिंसा, अचौर्य एवं अपरिग्रह जैसे सद्गुणों को प्रस्थापित करने का ज्ञान भी तो है। जैन धर्म शिष्ट, स्वस्थ, सुव्यवस्थित एवं प्रसन्न जीवनशैली का प्रेरक है। शाश्वत सुख की प्राप्ति के लिए हर एक व्यक्ति आतुर होता है। जैनिज़्म के पांच व्रतों का सम्पूर्ण समझदारी के साथ अनुकरण छात्रों के लिए जीवन बदलाव का एक महत्त्वपूर्ण प्रकाशित मार्ग बनेगा। श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ द्वारा विश्वप्रकाश पत्राचार पाठ्यक्रम के नाम से जो जैनिज़्म कोर्स संचालित हुआ है, वह प्रशंसनीय है। मैं आशा करता हूँ कि इस अभ्यास के माध्यम से छात्र व्यापक कल्याणकारी जीवन उद्देश्य को समझने में सफलता प्राप्त करेंगे। इस कार्य से जुड़े हर एक व्यक्ति के प्रयासों का स्वागत करते हुए इस श्रेयकार्य की सफलता के लिए मेरी शुभेच्छाएँ प्रेषित करता हूँ।
Rajnath Singh, Defence Minister, India ( 1 Wed 24, 2020 04:09 PM )
मुझे यह जानकार हार्दिक प्रसन्नता हुई है कि श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ द्वारा मानव जाति के कल्याण एवं ज्ञान का प्रकाश फैलाने हेतु प. पू. आ. भ. श्री गुणरत्नसूरीश्वर जी म. सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शन से त्रिवर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम “जैनिज़्म कोर्स” तैयार किया गया है। मैं श्री नाकोड़ा तीर्थ ट्रस्ट से जुड़े सभी बन्धुओं को जैनिज़्म कोर्स आरम्भ करने पर हार्दिक बधाई देता हूँ, तथा इसकी सफलता की कामना करता हूँ।
प.पू.आ.भ. श्री विजय जयघोषसूरीश्वर जी महाराज ( 1 Mon 29, 2020 06:29 AM )
ज्ञान जगत में एक सक्षम आलंबन की पूर्ति इस कोर्स के माध्यम से हो पाएगी। समस्त विद्यार्थी आचार एवं विचार में आध्यात्मिक परिवर्तन द्वारा आत्मकल्याण करें, इस हेतु शुभाशीर्वाद !!
प.पू.आ.भ. श्री वि. यशोविजयसूरीश्वरजी महाराज ( 1 Mon 29, 2020 07:35 AM )
'जैनिज़्म कोर्स’ के प्रकाशन के अवसर पर हार्दिक शुभकामना। प्रभु की व्यवहार निश्चय के अद्भुत समतुलनयुक्त साधना को पाकर हम तो कृतार्थ हो गए है। इस साधना का प्रचार जन-जन में हो यही हमारी इच्छा होती है।
Dr Lata Bothra Jain Bhavan Institute, Kolkata ( 1 Tue 30, 2020 12:14 AM )
In contemporary times we see society wracked by contradictions, environmental imbalance, socio-cultural apathy and complete lack of empathy in the younger generation. This syllabus will not only play a significant role in wiping out these ills but also work as a guiding force for generations to come who will learn to live up to their responsibilities in the right spirit. This syllabus will play an important role in emphasising and underlining the path of life as taught by the Tīrthaṅkaras. We humbly thank his Holiness Gurudev dīkṣā Daneshwari Suripremalabdhaprasad Ācārya Vijay Gunaratnasuri for his guidance in creating this syllabus to spread the light of knowledge among masses.
Professor Ashok Kumar, BL Institute of Indology, New Delhi ( 1 Tue 30, 2020 12:23 AM )
Human values like forgiveness, friendship, compassion, affection, humility, trustworthiness, gentleness and gratitude are not only essential for personal growth, they are the basis of a happy society. It is impossible to imagine the ideal person and ideal society in the absence of the widespread knowledge and practice of the teachings of self-control of speech, desire, physical conduct, materialism and emotions that are so strongly espoused by Jain scriptures. I am confident that this syllabus shall justify its nomenclature as ‘Life Course’ by making a priceless contribution to the creation and development of the ideal person, ideal family, ideal society, ideal nation and the ideal world. I heartily congratulate all those auspicious souls who are connected with this syllabus.
Dr Jitendra B Shah, Director, LD Institute of Indology, Ahmedabad ( 1 Tue 30, 2020 12:35 AM )
Materialism is promoted to an unhealthy level, smartphones are misused, and the negative impact of television; are factors which have severely damaged our Indian culture and religious values. At a difficult time like this, such a study course is absolutely essential. Necessity has led to additions, corrections and emendations to the older course. One is pleased that a new improved version of the old syllabus has been prepared. Since this new syllabus has had inputs from the best scholars and learned Ācāryas and Sādhus, without any doubt, it is going to be excellent!
Dr. P. J. Gandhi-Consulting Engineer & Valuer, Arbitrator & Conciliator Ph D (Engg), Ph D (Management), MBA (Finance & Operations), LLM, ACS ( 1 Tue 30, 2020 01:41 AM )
Jainism is a perfect science in itself. Perhaps there will be no such knowledge in the entire world, which is not widely analyzed in the Jain texts. This course is being revamped under guidance of Acarya Gunaratna Suri Maharaja. It covers almost every kind of subjects from religion to the elements. Previously, lakhs of students were benefited from it, but now this course is available in three languages Gujarati, Hindi and English, where the description of difficult elements are very easily explained, surely I wish that many lives will be changed.
श्री नरेन्द्र मोदी, प्रधानमन्त्री, भारत ( 1 Thu 06, 2020 04:43 PM )
श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ, राजस्थान द्वारा हिन्दी व गुजराती भाषा में सर्वजनसुखाय प्रकाशित हो रहे 'जैनिज्म कोर्स' के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई है। जैन धर्म की अमूल्य शिक्षाओं को औपचारिक अध्ययन का अंग बनाना प्रशंसनीय है। अपने कर्मों को पूरी निष्ठा के साथ करने पर बल देते जैन धर्म के विभिन्न तीर्थंकरों ने उच्च आदर्श प्रस्तुत किए और विश्व को अहिंसा, कर्म, समानता, शांति और अपरिग्रह जैसे कल्याणकारी विचार दिए। सदियों पहले दिए गए उनके विचार व आदर्श आज के दौर में और भी प्रासंगिक हो गए हैं, इन्हें अधिकतम लोगों तक पहुंचाना आवश्यक है। मुझे उम्मीद है कि जैन धर्म के शिष्ट-स्वस्थ-सुव्यवस्थित और प्रसन्न जीवनशैली के प्रेरक संदेश को यह कोर्स आगे बढ़ाएगा। ‘जैनिज्म कोर्स' से जुड़े जैन-अजैन विद्यार्थियों और गुरूजनों को मैं भविष्य के प्रयासों के लिए बधाई व शुभकामनाएं देता हूं।