Launch of Jainism Course

  • 03 Jul 2020
  • Posted By : Jainism Courses

जैनिज़्म कोर्स नए रंग-रूप में Online और Offline तरीके से पढ़ने के लिए प्रस्तुत है।

कोर्स की विषय-वस्तु 

१. जैनत्व मार्गदर्शन : जैनधर्म की प्राचीनता, वैज्ञानिकता तथा विश्व में बेजोड़ता। आहारचर्या, संघ-व्यवस्था, शिक्षा-प्रणाली, व्यवहार-निर्वाह, मनोविज्ञान, साधना पद्धत्ति इत्यादि अनेक संदर्भ में जैनधर्म का पूर्ण मार्गदर्शन तथा विविध क्षेत्रों में जैनधर्म की महानता का रोचक वर्णन। 

२. लाइफ कोर्स : बाल्यकाल से वृद्धावस्था तक की प्रत्येक स्थिति में जीवनचर्या को सुन्दर एवं श्रेष्ठ किस प्रकार बनाएँ ? इस मामले का धर्म, संस्कृति तथा तर्क के आधार पर रोचक वर्णन। मित्रता, व्यापार, जीवन के उत्तरदायित्वों का निर्वाह इत्यादि अनेक पहलूओं का जैनधर्म के दृष्टिकोण से मनोहारी मार्गदर्शन। 

३. जैनाचार : मार्गानुसारी के ३५ गुण, जिनपूजा, गुरुवंदन, पच्चक्खाण इत्यादि की शास्त्रीय विधि। श्रावक जीवन, बारह व्रत, श्रमणाचार, पांच महाव्रत, अष्टप्रवचन माता, तप के विविध प्रकार एवं विधि, जैनधर्मानुसार पूरे वर्ष में मनाए जाने वाले त्यौहार, अनुष्ठान आदि का रोचक वर्णन। 

४. जैन तत्त्वज्ञान : जैनधर्म की मध्यस्थता एवं निराग्रहिता का परिचय, शास्त्र-परंपरा एवं विज्ञान के दृष्टिकोण से जीवसृष्टि का विवेचन, नवतत्त्व का हृदयंगम वर्णन, जैनधर्म के अनुसार विश्व-व्यवस्था, विश्व रचना एवं भूगोल की विस्तृत व्याख्या, प्रमाण, नय, निक्षेप, सप्तभंगी, अनेकांतवाद - स्याद्वाद, योग की आठ दृष्टि - ऐसे अनेक गूढ़ पदार्थों की सरल, सुगम एवं स्पष्ट समझ।

५. प्रश्न-उत्तर : जीवन में धर्म की क्या आवश्यकता ? पर्व तिथि पर हरी सब्जी क्यों नहीं खानी ? क्या तप करना शरीर पर अत्याचार है ? क्या साधु, समाज पर बोझ है ? क्या पूजा में प्रयुक्त दूध आदि अपव्यय है ? इत्यादि-इत्यादि  … आज के बुद्धिजीवी वर्ग के दिमाग में उठते प्रश्नों का अनेक युक्तियों, तर्क एवं उदाहरणों से सटीक समाधान। 

६. कर्मसिद्धांत : जीव के साथ कर्म के बंधन की प्रक्रिया, कर्म के प्रकार, कर्म के भयानक असर, मिथ्यात्व से मोक्ष तक की समस्त श्रेणियों का वर्णन करते हुए सम्यक्त्व प्रक्रिया, उपशम श्रेणी, क्षपक श्रेणी, केवलज्ञान तथा मोक्ष के शाश्वत सुख इत्यादि का सूक्ष्म एवं रोचक वर्णन। 

७. सूत्र-रहस्य : नवकार आदि अनेक उपयोगी सूत्रों के माध्यम से पंच परमेष्ठी का ऐश्वर्य, उनकी जाप-पद्धत्ति, ध्यान के प्रकार, प्रतिक्रमण विधि, जीवन की तेरह प्रार्थनाएँ, परमात्मा के अतिशय, अठारह पाप-स्थानक, विश्व के जैन तीर्थ इत्यादि अनेक अद्भुत विषयों की भव्य प्रस्तुति के साथ सूत्रों के अर्थ, भावार्थ तथा रहस्यों को उजागर किया गया है। 

८. जैन इतिहास : जैनधर्म का प्राचीन-अर्वाचीन इतिहास, युगलिक काल से अब तक हुई घटनाएँ, प्रसंग तथा इतिहास का रोचक आलेखन। तीर्थंकर, शलाकापुरुष, पूर्वाचार्य, पट्ट-परंपरा, राजा-महाराजा, तीर्थ इत्यादि विविध ऐतिहासिक विषयों का रोचक वर्णन तथा अनेक परिप्रेक्ष्यों से उन ऐतिहासिक घटनाओं का अवगाहन।